पेड़ और धरती के बीच संवाद - Ped aur Dharti ke Beech Samvad

पेड़ और धरती के बीच संवाद - Ped aur Dharti ke Beech Samvad

    Ped aur Dharti ke Beech Samvad

    पेड़ : प्रमाण धरती माता ! आप कैसी हैं ?

    धरती : मैं ठीक नहीं हूँ। 

    पेड़: क्या हुआ?

    धरती : मनुष्य मुझे नष्ट कर रहे हैं। 

    पेड़: क्यों और कैसे ?

    धरती : अपने निजी स्वार्थ के लिए। 

    पेड़: लोग मुझे भी नष्ट कर रहे हैं

    धरती : हां मुझे पता है और मैंने इसे देखा है। वे तुम्हें काट रहे हैं

    पेड़: हां, इस प्रकार वे सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि आपको भी भी नष्ट कर रहे हैं। 

    धरती : हां आप सही कह रहे हैं

    पेड़: मनुष्य मुझे काटते तो हैं लेकिन वे मुझे दोबारा नहीं उगाते

    धरती : सही कहा, मनुष्य स्वार्थी हो गए हैं। 

    पेड़: हां, वे पेड़ उगाने के फायदों के बारे में नहीं सोचते हैं। 

    धरती: इसलिए पर्यावरण भी असंतुलित हो रहा है। 

    पेड़: हाँ पहले लोग पेड़ों के नीचे बैठते थे लेकिन आजकल इसे नज़रअंदाज़ कर रहे हैं

    धरती : लेकिन कोई समस्या नहीं यह मानव जीवन को भी प्रभावित करेगा

    पेड़: हां जब उन्हें बीमारियां होंगी, कम ऑक्सीजन आदि और पृथ्वी नष्ट हो जाएगी तो उन्हें अपनी गलतियों का एहसास होगा

    धरती : बिलकुल सही, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। 

    पेड़: ईश्वर मनुष्यों को सद्बुद्धि दे। 


    पेड़ और धरती के बीच संवाद लेखन

    पेड़: क्या हुआ धरती, आज बड़ी उदास हो ?

    धरती: हां पेड़, तुम बताओ कैसे हो ?

    पेड़: क्या बताऊँ! मनुष्य फायदे के लिए हमारा जीवन नष्ट कर रहा है।

    धरती: यह तो सच कह रहे हो , मनुष्य ने तो मुझे भी दूषित कर दिया है।

    पेड़: मूर्ख मनुष्य पेड़ काटने में लगा है, उसे अहसास नहीं कि पेड़ नहीं होगे उनका जीवन खतरे में पड़ जायेगा। 

    धरती: स्वार्थ ने मनुष्य को अँधा कर दिया है।

    पेड़: सोच कर बड़ा दुःख होता है हम इनकी रक्षा करते है और यह हमें नष्ट कर रहे है।

    धरती: एक दिन जब सब नष्ट हो जाएगा तब मानव के पास अफ़सोस करने के अलावा कुछ नहीं होगा।

    पेड़: एक दिन अवश्य होगा।

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