कुर्सी और मेज के बीच संवाद लेखन - Dialogue writing on between chair and table in hindi
कुर्सी और मेज के बीच संवाद लेखन
कुर्सी: मैं आज बड़ी दुखी हूँ।
मेज : क्या तुम इसलिए दुखी हो क्योंकि मैं एक आलिशान घर में जा रहा हूँ ?
कुर्सी : अरे नहीं नहीं, इसलिए तुमसे ईर्ष्या नहीं करता, क्योंकि तुम बड़े घर में जा रहे हो।
मेज : तो फिर क्या तुम इसलिए दुखी हो की मुझे एक अमीर परिवार मिलेगा ?
कुर्सी : आपने फिर गलत सोचा मेज भाई। दरअसल मैं इसलिए दुखी हूँ क्योंकि आज मैं एक दोस्त खो दूँगी।
मेज : हाँ, तुम सही कह रही हो छोटी बहन, मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आएगी।
कुर्सी : याद करो वो दिन जब हम पेड़ों से काटे गए थे।
मेज : हाँ, हम एक ही पेड़ से बने हैं।
कुर्सी : हमारे अन्य भाई-बहन दूसरे परिवारों को बेच दिए गए हैं। अब बस हम दोनों ही बचे हैं। और अब तुम भी मुझे छोड़कर जा रहे हो।
मेज : मुझे क्षमा करो बहन ! मैं कुछ नहीं कर सकता।
कुर्सी : मुझे पता है।
मेज : अरे वह महिला तुम्हारे बारे में बात कर रही है, लगता है कि वह तुम्हे खरीदना चाहती है।
कुर्सी : अगर वह मुझे खरीदना चाहती है तो भी मैं खुश नहीं हूं क्योंकि हम अलग हो जायेंगे।
मेज: ऐसा नहीं होगा प्यारी कुर्सी क्योंकि वह महिला हम दोनों को खरीद रही है।
कुर्सी : (मुस्कुराते हुए) इसका मतलब है कि हम साथ रहेंगे ?
मेज : हाँ अब हम हमेशा साथ रहेंगे।
Dialogue writing on between chair and table in hindi
कुर्सी : कैसे हो मेज भाई ?
मेज : मैं ठीक हूँ बहन, तुम बताओ कैसी हो ?
कुर्सी : मैं भी अच्छी हूँ, आराम में हूँ आजकल।
मेज : जब से कोरोना फैला है, हमें भी छुट्टियाँ मिल गई है।
कुर्सी : हाँ क्योंकि सरे स्कूल और दफ्तर बंद हो गए है।
मेज : आज मनुष्य को हमारी कीमत समझ आ रही होगी , क्योंकि वह आज घरों में वह बंद है।
कुर्सी : हाँ बहन, बहुत से लोग तो अपनी कुर्सी के लिए ईमानदार भी नहीं थे।
मेज : लेकिन बच्चे हमारा सदुपयोग करते थे। उन्हें अपने कुर्सी और मेज से बहुत प्यार था।
कुर्सी : एकदम सही कहा आपने। बहुत कम लोग होते है जो कुर्सी मेज की अहमियत को समझते है।
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