दुर्गा पूजा पर निबंध (Essay on Durga Puja in Hindi)

दुर्गा पूजा पर निबंध (Essay on Durga Puja in Hindi)

Essay on Durga Puja in Hindi : इस लेख में दुर्गा पूजा पर निबंध दिए गए है। सभी Long and Short दुर्गा पूजा पर निबंध विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक है। 

दुर्गा पूजा पर निबंध (Essay on Durga Puja in Hindi)

दुर्गा पूजा पर निबंध - 1

दुर्गा पूजा प्रतिवर्ष हिन्दुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक धार्मिक त्यौहार है। यह भव्य त्यौहार माता दुर्गा की पूजा-आराधना के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार माँ दुर्गा द्वारा महिषासुर के अंत की ख़ुशी में मनाया जाता है। भगवान राम ने रावण को मारने से पहले देवी दुर्गा की पूजा की थी। तभी से दुर्गा पूजा की शुरुआत हुई। इस त्यौहार को हर साल लोगो के द्वारा उत्साह और विश्वास के साथ मनाया जाता है। 

दुर्गा पूजा का त्यौहार प्रतिवर्ष अश्विन महीने के पहले से दसवें दिन तक मनाया जाता है। दुर्गा पूजा के लिए लोग 1-2 महीने पहले से तैयारियां शुरू कर देते हैं। यह त्यौहार पुरे भारत में धूम-धाम से नाच-गाने के साथ उत्साह के साथ मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल के कोलकाता की दुर्गा पूजा सबसे ज्यादा विख्यात है। वे लोग जो विदेशों में रहते हैं, दुर्गा पूजा के लिए छुट्टियाँ लेकर आते हैं। दुर्गा पूजा के लिए स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी दफ्तरों में 10 दिनों का अवकास भी होता है। दुर्गा पूजा हर जगह अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। लोग अपने पारम्परिक कपडे पहन कर माँ दुर्गा की आरती करते हैं और ढोल नगाड़ों पर नाचते हैं। दुर्गा पूजा में कई प्रकार के रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक माना जाता है। 


दुर्गा पूजा पर निबंध - 2

दुर्गा पूजा हिदुओं का मुख्य त्यैहार है। इसे दुर्गोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर दुर्गा पूजा सितम्बर या अक्टूबर मे होती है। इसमे लोग नौ दिन तक माँ दुर्गा की पूजा करते हैं। पूजा के अंत में प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है। इस पर्व-त्योहार को मनाने का आधार पौराणिक है। इस प्रकार दुर्गा पूजा का सम्बंध देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर नामक राक्षस के बध की कथा से है। एक पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नामक राक्षस के अत्याचारों से पीड़ित होने से चारो और हा-हाकार मच गया। इंद्रलोक और देवलोक में तो त्राहि-त्राहि मच गई। महिषासुर के बढ़ते हुए अत्याचार से देवगण इतना कांप उठा की उन्हें भगवान विष्णु की शरण मे जाने के सिवाय और कुछ नहीं सूझा, देवताओं की दयनीय दशा देखकर भगवान विष्णु उन्हें लेकर ब्रहा जी के पास गए। वहां से देवताओं सहित भगवान विष्णु और ब्रहमा जी भगवान शंकर के पास गए। महिषासुर के अत्याचार से दुःखी देवताओं सहित तीनो भगवानो की क्रोधग्नि से एक अपूर्व ओर अदभुत शक्ति का उदय हुआ। वह शक्ति परम् शक्तिशाली देवी के रूप में थी। वह देवी सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र सर अलंकृत सम्पन्न थी। उस देवी का नाम माता दुर्गा रखा गया। माँ दुर्गा ने नौ दिनों तक लगातार महिषासुर से युद्ध की और द्सवें दिन उस पर विजय प्राप्त की। इससे देवताओं सहित तीनो भगवान हर्षित हो उठे। उसी समय से इस तिथि को महिषासुर मर्दनी माँ दुर्गा के भक्त-श्रद्धालु नवरात्रि के उपवास-व्रत रखा करते है। माँ दुर्गा की पूजा विविध से करते हुए दशमी (दशवे दिन) को दशहरा मानते है। बंगाल में उत्तरी-पूर्वी भारत के समान भगवान श्रीराम की याद में दशहरा का त्योहार पर्व नही मनाया जाता है। यहां तो महाशक्ति दुर्गा के सम्मान और श्रद्धा में दशहरा का पर्व-त्योहार मनाया जाता है। बंगाल वासियो की यह मुख्य धारणा है, कि इस दिन ही महाशक्ति दुर्गा कैलाश पर्वत (Mount Kailash) को प्रस्थान करती है। इसलिए यहाँ के लोग माँ दुर्गा की याद में रात-भर पूजा उपासना, अखण्ड पाठ और मन्त्र-जाप बड़े ही विशवास और दृढ़ निश्चय के साथ किया करते है।


दुर्गा पूजा पर निबंध - 3

दुर्गा पूजा हिन्दू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है। Durga Puja को लोग दुर्गोत्सव या शरदोत्सव के नाम से भी जानते हैं। आमतौर पर दुर्गा पूजा की तैयारियां महीनों पहले से ही शुरू हो जाती है। दुर्गा पूजा हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। बंगाल में दुर्गा पूजा (Durga puja in bengali) ज्यादा प्रसिद्ध है क्योकि यह बंगालियों का प्रमुख त्यौहार होता है। दुर्गा पूजा की शुरुआत तब हुई जब भगवन राम ने रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा से शक्ति प्राप्त करने के लिए पूजा की थी। दुर्गा पूजा का अवसर बहुत ही खुशियों से भरा होता है। खासकर विद्यार्थियों के लिए क्युकी इस मौके पर उन्हें छुट्टियां मिलती है। इस अवसर पर घर में नए कपड़ों की खरीददारी की जाती है। कुछ बड़े स्थानों पर मेलों का भी आयोजन किया जाता है। बच्चों का दुर्गा पूजा के अवसर पर उत्साह दोगुना हो जाता है।

देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लोग पुरे नौ दिनों का उपवास रखकर पूजा करते हैं। हालाँकि कुछ लोग केवल पहले और आखरी दिन उपवास रखते हैं। दुर्गा पूजा का जश्न (Durga Puja Celebration) पूरे दस दिनों तक चलता है। लेकिन माँ दुर्गा की मूर्ति को सातवें दिन से पूजा जाता है। अंतिम के तीन दिन पूजा का उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। हर गली मोहल्ले में इसकी अलग ही झलक दिखती है। तरह तरह के पंडाल बनाये जाते हैं। दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान मेला और मीना बाजार भी लगता है।

माँ दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है। उनके दस हाथ होते हैं और वह शेर पर विराजमान होती है। यह माना जाता है की महिषासुर नामक राजा ने स्वर्ग में देवताओं पर आक्रमण कर दिया था। वह बहुत ही शक्तिशाली था और उसे कोई भी हरा नहीं सकता था। उस समय स्वर्ग के देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से बचाने के लिए ब्रम्हा, विष्णु, और शिव के द्वारा एक आंतरिक शक्ति का निर्माण किया गया जिसका नाम दुर्गा रखा गया।

देवी दुर्गा को दैवीय शक्तियां प्रदान की गयी थी जिससे की वे महिषासुर का वध कर सके। माँ दुर्गा ने पुरे दस दिनों तक महिषासुर से युद्धकिया और दसवें दिन उसे मार डाला। दसवें दिन को दशहरा या विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। रामायण के अनुसार भगवान राम से रावण को मारने से पहले माँ दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चंडी पूजा की थी।दुर्गा पूजा के दसवे दिन भगवान राम ने रावण को मारा इसलिए इस दिन को हम विजयादशमी के नाम से भी जानते हैं। दुर्गा पूजा उत्सव को अच्छाई की बुराई पर जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है।


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