ओणम पर निबंध | Essay on Onam in Hindi

Essay on Onam in Hindi : हम यहां पर ओणम पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में ओणम त्यौहार की सभी जानकारी दे गयी है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

ओणम त्योहार पर निबंध - (100 शब्द)

ओणम केरल का राजकीय त्यौहार है, जो दस दिनों तक चलता है। यह त्योहार न केवल केरल राज्य में अपितु पूरे दक्षिण भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है। ओणम का उत्सव प्रतिवर्ष श्रावण शुक्ल की त्रयोदशी को मनाया जाता है। ओणम त्यौहार की कहानी असुर राजा महाबली एवं भगवान् विष्णु से जुड़ी हुई है. ऐसा माना जाता है कि ओणम त्यौहार के दौरान राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने, उनके हाल चाल, खुशहाली जानने के लिए हर साल केरल राज्य में आते है। इस दिन केरल में प्रसिद्ध सर्प नौका दौड़ आयोजित किया जाता है। ओणम एक सम्पूर्णता से भरा हुआ त्योहार है जो सभी के घरों को ख़ुशहाली से भर देता है। ओणम के दस दिन एक कार्निवल के समान होते हैं। जिसे देखने के लिए पर्यटक केरल में आते हैं। 

ओणम पर निबंध | Essay on Onam in Hindi

ओणम त्योहार पर निबंध -(1000 शब्द)

ओणम का त्योहार केरल के प्रमुख त्योहारों में से एक है। हिंदी कैलेंडर के मुताबिक़, ओणम का पर्व हर वर्ष भाद्र मास के शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम से हुई है।ओणम त्यौहार की कहानी असुर राजा महाबली एवं भगवान् विष्णु से जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि ओणम त्यौहार के दौरान राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने, उनके हाल चाल, खुशहाली जानने के लिए हर साल केरल राज्य में आते है। तब से केरल में हर साल राजा बलि के स्वागत में ओणम का पर्व मनाया जाता है।

ओणम का इतिहास

पौराणिक कथा के अनुसार, सदियों पहले महाबलि नाम के एक शक्तिशाली राजा हुए। उन्होंने तीनों लोकों (भू, देव और पाताल) पर राज किया। राक्षस योनि में पैदा होने के बावजूद भी उदार चरित्र होने के कारण उन्हें प्रजा बहुत प्यार करती थी, परंतु देवता उनसे ख़ुश नहीं थे, क्योंकि महाबलि ने उन्हें युद्ध में परास्त करने के बाद देवलोक पर शासन किया था। युद्ध में परास्त सभी देवता त्राहि माम करते हुए भगवान विष्णु के द्वार पर पहुँचे और उनसे अपना साम्राज्य वापस दिलाने की प्रार्थना की। इस पर विष्णुजी ने देवताओं की मदद के लिए वामन अवतार का रूप धारण किया, जिसमें वे एक बौने ब्राह्मण बने। दरअस्ल, ब्राह्मण को दान देना शुभ माना जाता है, इसलिए वामन का रुप धारण कर भगवान विष्णु राजा महाबलि के दरबार पर पहुँचे। राजा बलि ने जैसे ही ब्राह्मण यानि भगवान विष्णु से उनकी इच्छा पूछी तभी भगवान विष्णु ने उनसे केवल तीन क़दम ज़मीन मांगी। यह सुनते ही राजा महाबलि ने हाँ कह दिया और तभी भगवान विष्णु अपने असली रूप में आ गए। उन्होंने पहला कद़म देवलोक में रखा जबकि दूसरा भू लोक में और फिर तीसरे क़दम के लिए कोई जगह नहीं बची तो राजा ने अपना सिर उनके आगे कर दिया। विष्णुजी जी ने उनके सिर पर पैर रखा और इस तरह महाबलि पाताल लोक पहुँच गए। राजा ने यह सब बड़े ही विनम्र भाव से किया। यह देखकर भगवान विष्णु उनसे प्रसन्न हो गए और उनसे वरदान मांगने के लिए कहा, तब महाबलि ने कहा कि, हे प्रभु! मेरी आपसे प्रार्थना है कि मुझे साल में एक बार लोगों से मिलने का मौक़ा दिया जाए। भगवान ने उनकी इस इच्छा को स्वीकार कर लिया, इसलिए थिरुवोणम के दिन राजा महाबलि लोगों से मिलने आते हैं।

ओणम मनाने का तरीका

केरल में 10 दिन तक चलने वाला ओणम उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार हस्त नक्षत्र से शुरू होकर श्रवण नक्षत्र तक जारी रहता है। ओणम पर्व पर राजा बलि के स्वागत के लिए घरों की आकर्षक साज-सज्जा के साथ फूलों की रंगोली और तरह-तरह के पकवान बनाकर उनको भोग अर्पित करते है। इन दिन महिलाएं फूलों की रंगोली बनाती है, जिसे ओणमपुक्कलम कहते हैं। ओणम के आखिरी दिन बनाये जाये वाले पकवानों को ओणम सद्या कहते है। इसमें 26 तरह के पकवान बनाये जाती है, जिसे केले के पत्ते पर परोसा जाता है। महाबली दानवीर थे, इसलिए ओणम त्यौहार में दान का विशेष महत्व होता है। लोग तरह तरह की वस्तुएं गरीबों एवं दानवीरों को दान करते है। 

केरल में दस दिवसीय ओणम महोत्सव

1. एथम/अथम (प्रथम दिन): इस दिन, लोग प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि क्रियाओं से निवृत्त होकर मंदिर में ईश्वर की पूजा करते हैं। इस दिन महाबली की पाताल से केरल आने की तैयारी की जाती हैं  उसके बाद लोग ओणम पुष्प कालीन (पूकलम) बनाते हैं।

2. चिथिरा (दूसरा दिन): दूसरा दिन भी पूजा की शुरूआत के साथ शुरू होता है। उसके बाद महिलाओं द्वारा पुष्प कालीन में नए पुष्प जोड़े जाते हैं और पुरुष उन फूलों को लेकर आते हैं।

3. चोधी (तीसरा दिन): पर्व का तीसरा दिन ख़ास है, क्योंकि थिरुवोणम को मनाने के लिए लोग इस दिन बाजार से ख़रीदारी करते हैं।

4. विसाकम (चौथा दिन): चौथे दिन कई जगह फूलों का कालीन बनाने की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। महिलाएँ इस दिन ओणम के अंतिम दिन के लिए अचार, आलू की चिप्स आदि तैयार करती हैं।

5. अनिज़ाम (पाँचवां दिन): पांचवे नौका दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है जिसे वल्लमकली भी कहते हैं।

6. थ्रिकेता (छटा दिन): इस दिन कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें सभी उम्र के लोग इसमें भाग लेते हैं। इस दिन लोग अपने क़रीबियों को ओणम की शुभकामनाएं देते हैं।

7. मूलम (सातवां दिन): लोगों का उत्साह इस दिन अपने चरम पर होता है। इस दिन बाज़ार विभिन्न खाद्य पदार्थों से सजे होते हैं। लोग आसपास घूमने के साथ-साथ व्यंजनों की कई किस्मों का स्वाद चखते हैं और महिलाएँ अपने घरों को सजाने के लिए कई चीजें ख़रीदती हैं।

8. पूरादम (आठवां दिन): इस दिन लोग मिट्टी के पिरामिड के आकार में मूर्तियाँ बनाते हैं। वे उन्हें ‘माँ’ कहते हैं और उनपर पुष्प चढ़ाते हैं।

9. उथिरादम (नौवां दिन): यह दिन प्रथम ओणम के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन लोगों के लिए बेहद ही हर्षोल्लास भरा होता है, क्योंकि इस दिन लोगों को राजा महाबलि का इंतज़ार रहता है। सारी तैयारी पूरी कर ली जाती हैं और महिलाएँ विशाल पुष्प कालीन तैयार करती हैं।

10. थिरुवोणम (दसवाँ दिन): इस दिन जैसे ही राजा महाबली का आगमन होता है लोग एक-दूसरे को पर्व की बधाई देने लगते हैं। कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है और जमकर आतिशबाज़ी की जाती है। इस दिन बेहद ख़ूबसूरत पुष्प कालीन बनाई जाती है। ओणम के पकवानों से थालियों को सजाया जाता है और साध्या को तैयार किया जाता है। इस दिन को दूसरा ओणम भी कहा जाता है।

उपसंहार 

ओणम को थिरुवोणम के बाद भी दो दिनों तक और मनाया जाता है अर्थात यह कुल 12 दिनों तक मनाया जाता है, हालाँकि ओणम में पहले के 10 दिन ही मुख्य होते हैं। ओणम के 11वें दिन अविट्टम मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने राजा महाबली को वापस भेजने की तैयारी करते हैं। कुछ लोग रीति-रिवाज से ओनथाप्पन मूर्ति को नदी अथवा सागर में प्रवाह करते हैं, जिसे वे अपने पुष्प कालीन के बीच इन पूरे दस दिनों तक रखते हैं। इसके बाद पुष्प कालीन को हटाकर साफ़-सफाई की जाती है, हालाँकि कुछ लोग इसे थिरुवोणम के बाद भी 28 दिनों तक अपने पास रखते हैं। इस दिन पूरे समारोह को एक विशाल नृत्य कार्यक्रम के साथ समाप्त किया जाता है।


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