मेरे पिता पर निबंध | Essay on My Father in Hindi

मेरे पिता पर निबंध | Essay on My Father in Hindi

    मेरे पिता पर निबंध (200 शब्द)

    पिता का अर्थ होता है पालनपोषण करनेवाला। पिता ही परिवार का वास्तविक पालनहार होता है। हम सभी के जीवन में पिता का महत्वपूर्ण स्थान होता है। पिता से ही हमें वो आदर्श और संस्कार प्राप्त होते है, जो में हमारा मार्गदर्शन करते हैं। एक पिता अपनी संतान की खुशियों के लिए सभी गम हँसते-हँसते सह जाता है और चेहरे पर दर्द का भाव भी नहीं आने देता। मेरे पिता भी ऐसे ही एक आदर्श पिता है। वह एक दयालु, कर्मठ, साहसी, शांतिप्रिय, और आत्मविश्वास से परिपूर्ण व्यक्ति है। वह समाज के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं, समाज में उनका रुतबा काफी शानदार है।

    “कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता

    कभी धरती तो कभी आसमान है पिता

    जन्म दिया है अगर माँ ने

    जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता….”

    मेरे पिताजी हमेशा मेरे प्रेरणास्तोत रहे है। वह सत्य और अनुशासन को बड़ा महत्त्व देते है। मेरे पिताजी घर के सभी सदस्यों की छोटी-बड़ी जरूरतों का ख्याल रखते है। वह सदैव बड़ो का आदर, छोटों से प्यार और हम उम्र से अपनेपन से परिपूर्ण व्यवहार करते हैं। 

    जीवन की मुश्किल घड़ियों का डटकर सामना करना और विकट परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास बनाये रखना ये हमने उनसे सीखा है। गलती हो जाने पर विनम्रता से गलतियों का एहसास कराते हैं और कभी भी गुस्सा नहीं करते। उन्होंने ही मुझे जीवन में समय और पैसों का महत्व और सदुपयोग करना सिखाया है।

    मैं मेरे पिता के काफी नज़दीक हूँ। वो मेरे सच्चे हीरो और पक्के दोस्त है। हर बेटे का यह कर्त्तव्य होता है की वह हमेशा अपने पिता किसी भी परिस्थितियों में न छोड़े। जीवन में अपने पिता से एक कदम हमेशा आगे रहे ताकि उन्हें भी होने बेटे/बेटी पर गर्व हो। 

    मेरे पिता पर निबंध (250 शब्द)

    ‘मेरे पिता’ दुनिया के सबसे प्यारे पिता हैं। मेरे पिता मेरे भगवान हैं। वह मेरे जीवन की पहचान हैं। मेरे पिता मेरे सच्चे प्रेरणास्रोत, पक्के मित्र और अभिमान हैं। वो एक ऐसे व्यक्ति हैं जो प्रत्येक कार्य में मेरी सहायता करते हैं जैसे सुबह जल्दी उठने में, मेरा गृहकार्य पूरा कराने में या स्कूल के लिये तैयार होने में आदि। वो हमेशा मेरा ध्यान रखते हैं और मेरी माँ को दोपहर में ये जानने के लिये फोन करते हैं कि क्या मैं अपने सही समय पर घर पहुँच गया हूँ कि नहीं।अभी तक देखे मेरे जीवन के सबसे अच्छे इंसान हैं।  

    वह एक सेहतमंद, खुशमिजाज़ और अनुशासनप्रिय व्यक्ति हैं। वह सदैव सही समय पर ऑफिस जाते हैं और हमें भी स्कूल सही समय पर जाने के लिये प्रेरित करते हैं। वो हमें जीवन में समय का सदुपयोग करना सिखाते हैं और कहते हैं कि यदि कोई अपना समय नष्ट करता है, तो समय उसका जीवन नष्ट कर देता है।

    मेरे पिता बहुत नेकदिल इंसान हैं। वह मेरे पड़ोसियों और सम्बन्धियों की मुश्किल समय में मदद करते हैं। वह हमेशा मेरी माँ, मेरी छोटी बहन और मेरी देख-भाल बहुत प्यार करते हैं। मेरे पिता कभी उनसे झगड़ा नहीं करते हैं। वो हमेशा मेरी माँ का साथ देते हैं और जब मेरी माँ  बीमार होती है तो कई बार वह किचन में भी मदद करते हैं। वो मेरे दादी-बाबा को बहुत प्यार और सम्मान देते हैं और हमें उनका ध्यान रखना सिखाते हैं।

    वे मानते हैं की कि बूढ़े-बुजुर्ग से वट वृक्ष के भांति होते हैं जिनकी छत्रछाया में हम जीवन की चुनौतियों से लड़ना सीखते हैं, हमें उनका ध्यान, सम्मान और प्यार करना चाहिये। हमें मुश्किल समय में बूढ़े लोगों की कभी अनदेखी नहीं करना चाहिये क्योंकि ये समय हरेक के जीवन में आता है। वो हमें कहते हैं कि अपनी स्थिति के अनुसार पूरे जीवनभर सभी आयु वर्ग के ज़रुरतमंद लोगों की हमेशा मदद करनी चाहिये। 

    मेरे पिता पर निबंध (300 शब्द)

    ‘मेरे पिता’ मेरे प्रथम गुरु, मार्गदर्शक तथा मित्र हैं। मैं हमेशा उन्हें बाबूजी कहकर सम्बोधित करता हूँ। मेरे पिता मेरे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। उनमें वे सारी योग्यताएं मौजूद हैं जो एक श्रेष्ठ पिता में होती हैं। एक बच्चा अपने पिता से ही वह सारे गुण सीखता है जो उसे जीवनभर काम आते हैं। उनके पास सदैव हमें देने के लिए ज्ञान का अमूल्य भंडार होता है, जो कभी खत्म नहीं होता। 

    वह एक कुशल खिलाड़ी और चित्रकार हैं। वह अपने अतिरिक्त समय में चित्रकला का अभ्यास करते हैं। हमें भी संगीत, चित्रकला, गायन, खेलक्रीड़ा, नृत्य आदि  के लिये प्रोत्साहित करते हैं। वो कहते हैं कि ऐसी अतिरिक्त गतिविधियों से हमारा मानसिक विकास होता है। वह अपने खाली समय ,में मुझे कोडिंग और कंप्यूटर सिखाते हैं क्योंकि वह स्वयं भी एक प्रतिष्ठित कम्पनी में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियरहैं।

    वह हमेशा ज़रुरतमंद लोगों की मदद के लिये तत्पर रहते हैं। परोपकारिता और दया उनके चित्र के विशेष गुण हैं। वे सदैव हर समय धीरज से काम लेते हैं और कभी खुद पर से आपा नहीं खोते। हर परिस्थिति में वे शांति से सोच समझ कर आगे बढ़ते हैं और गंभीर से गंभीर मामलों में भी धैर्य बनाए रखते हैं। वो मेरे प्रथम गुरु हैं और मेरी सभी समस्याओं की चर्चा करते हैं। जब भी मैं परेशान होता हूं, वो मुझे बहुत शांतिपूर्वक सुनते हैं और मुझे अपने साथ अकेले कमरे में ले जाते हैं, वहां वह अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हैं, मुझे समझाते हैं, अपना हाथ मेरे कंधे पर रखते हैं, मुझे एहसास कराने के लिये अपनी गलतियाँ और सफलता सहित कमियाँ बताते हैं। मैंने सफलता का मंत्र मेरे पिताजी से ही सीखा है उन्होंने मुझे सिखाया है कि हमेशा कार्य करते रहो फल की चिंता मत करो। वो हमें सिखाते हैं कि हमें पूरे जीवनभर किसी इंसान को दुखी नहीं करना चाहिये और हमेशा ज़रुरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिये खासतौर से बूढ़े व्यक्तियों की।

    वो हमेशा मेरे दादा-दादी का ध्यान रखते हैं और कहते हैं कि बुजुर्ग लोग घर की बहुमूल्य संपत्ति की तरह होते हैं इनके बिना, हम बिना माँ के बच्चे और पानी बिना मछली की तरह हैं। वो हमेशा किसी भी बात को आसानी से समझने के लिये बहुत अच्छा उदाहरण देते हैं। हर छुट्टी पर अर्थात् रविवार को, वो हमें पिकनिक या पार्क में ले जाते हैं जहां हम सभी कुछ बाहरी क्रियाओं और खेलों के द्वारा खूब मस्ती करते हैं। हम आमतौर पर बाहर के खेल के रुप में बैडमिंटन और घर के खेल में कैरम खेलते हैं।

    मेरे पिता पर निबंध ( 600 शब्द)

    प्रस्तावना : पिता हमें भगवान की तरफ से मिला एक अनमोल उपहार है। पिता अपने बच्चों का जन्मदाता और भाग्य विधाता होता है। पिता अपने बच्चों के साथ गुरु, भाई और दोस्त की भूमिका निभाते है। परिवार का पालन पोषण करने की जिम्मेदारी एक पिता की होती है। बच्चा अपने पिता को सच्चा हीरो समझता है। जीवन में संघर्ष करके अपने परिवार को खुशियां बांटने का काम सिर्फ पिता ही कर सकता है।

    मेरे लिए पूरी दुनिया में सबसे प्यारे व्यक्ति मेरे पिता है। मैं उन्हें अपना आदर्श समझता हूँ और उनका प्रतिबिंब बनना चाहता हूँ क्योंकि बच्चों में चरित्र का विकास में पिता का बहुत योगदान होता है। मेरे पिता एक शांति प्रिय, धैर्यवान, दयालु और नेक दिल व्यक्ति है। एक बेटे, एक पति और एक पिता में जो गुण होने चाहिए वो सभी योग्यताएं मेरे पिता में मौजूद हैं।

    उन्होंने बचपन से ही मुझे अच्छे संस्कारों की शिक्षा दी है और मुझे बुरी चीजों से हमेशा दुर रखा है। वो सदाय मेरे मार्गदर्शक रहे है। मेरे पिताजी ने हमें जीवन की सभी चुनौतियों को स्वीकार करना और उनका डटकर मुकाबला करना सिखाया है।

    मेरे पिताजी की दिनचर्या : मेरे पिताजी जिंदगी में अनुशासन को ज्यादा महत्व देते है। उन्हें हर चीज समय पर करना पसंद है। वो  सुबह 5:30 बजे उठ जाते है। अपनी नित्य क्रिया बाद निरोगी रहने के लिए योग और कसरत करते है। फिर परिवार के साथ बैठकर सुबह का चाय और ब्रेकफास्ट करते है। उसके बाद स्नान करके हमें स्कूल छोड़ने आते है। वापस आकर मम्मी को घर के कार्यों में मदद करते है।

    मेरे पिता के लिए कोई भी काम छोटा या बड़ा नही है। वो सभी कार्य को बड़ी निष्ठा के साथ करते है। सुबह 11 बजे से शाम के  6 बजे तक उनका ऑफिस रहता है। वहां भी पूरी ईमानदारी से अपना फ़र्ज़ निभाते है। ऑफिस से आने के बाद वो दादा और दादी को मंदिर ले जाते है। रात को हम अब साथ बैठकर खाना खाते है। उस समय हम दिनभर हुई घटनाओं के बारे में चर्चा करते है।

    कभी कभी पिताजी हमें अच्छी कहानियां भी सुनाते है और जिसके जरिये हमें जीने की राह भी सिखाते है।मेरे पिताजी  हमारे घर के सभी सदस्यों की हमेशा  छोटी सी छोटी जरूरतों का ख्याल रखते है। छुट्टी के दिन पापा हमें घुमने भी ले जाते है।

    मेरे पिता के गुण : मेरी माँ मुझे बताती हैं, कि जब मैं छोटा था तब मेरे साथ खेला करते थे और अब भी वह मुझे समय और ध्यान देते हैं। उन्होंने शुरू से ही मेरी शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने मुझे किसी भी क्षेत्र को चुनने की आजादी दी, जिसमें मैं जाना चाहता था।जब भी मुझे किसी भी तरह की समस्या होती, मुझे अच्छी तरह से पता था कि मदद के लिए कहां जाना है। चाहे मुझे सलाह की जरूरत हो या आर्थिक मदद की, वह हमेशा मेरे साथ थे।भगवान का शुक्र है कि वह अब भी हमारे साथ हैं।

    मेरे पिताजी पारिवारिक कर्तव्यों को तो बड़ी बखूबी से निभाते ही हैं, साथ साथ सामाजिक कर्तव्यों को भी पूरी निष्ठा से निभाते है। पुरे समाज में सभी लोग उनको आदर और सम्मान देते है। वो जीवन के सभी शिष्टाचार और नैतिकता का पालन करते हुए ज़िंदगी को बड़ी ज़िंदादिली के साथ जीते है। सत्य और इमानदारी मेरे पिताजी के दो हथियार है। मेरे पिताजी को वांचन प्रिय है जिसकी बदौलत उनके पास काफी सारा ज्ञान है।

    मेरे पिताजी छोटी छोटी बातों में भी सकारात्मक  सोच रखते है और हमेश मुझ में आत्मविश्वास पैदा करते है। गलती होने पर मेरे पिता जी डांटने की बजाय मुझे प्यार पूर्वक समझाते है। धन का सही उपयोग कैसे करना चाहिए वो भी मैने अपने पिता से ही सीखा  है। वो एक बहुत अच्छे खिलाड़ी और  बहेतरीन कलाकार भी है।

    निष्कर्ष : पिता की धरी हमेशा अपने बच्चों के आसपास घूमती रहती है। भले पिता बहार से सख्त दीखते है, लेकिन अंदर से उनका दिल नाजुक होता है। पिता हमेशा अपने बच्चों की भलाई चाहता है और बच्चों की खुशियों के लिए अपने आप को कुर्बान कर देता है। इसलिए पिता की तुलना वट वृक्ष के पेड़ से की जाती है।

    हमें अपने पिता के संघर्षों को कभी नहीं भूलना चाहिए और हमेशा एक अच्छे बेटे बनने की कोशिश करनी चाहिए। किसी ने खूब कहा है कि ‘पिता वह कुम्हार हैं, जो अपनी डांट से ठोक-पीटकर, बच्चों को अच्छा इंसान बनाता है’। सच में मेरे लिए मेरे पिता मेरी जान है’।

    अंतिम शब्द : हमने यहां पर “मेरे पिता पर निबंध(Essay on My Father in Hindi)” शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

    मेरे पिता पर निबंध (1000 शब्द)

    मेरे पिता मेरे लिए आदर्श है। एक पिता का जीवन संघर्ष से भरा होता है। वह पिता ही होता है  जो अपनी सभी मुश्किलों को भूलकर परिवार में खुशियां बांटता है, जीवन भर कष्टों का सामना करके पूरे परिवार का पालन पोषण करते है। संघर्ष करके जीवन में सफल होना एक पिता से ही सीखा जा सकता है. 

    एक पिता ही पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपनी नैतिक जिम्मेदारी भी निभाता है. वह अपने लिए बहुत कम वस्तुएं खरीदता है लेकिन अपने बच्चों और परिवार के लिए किसी वस्तु की कमी नहीं होने देता है. एक पिता अपने आप को बाहर से कठोर दिखाता है लेकिन उसके जितना दयालु और अच्छा कोई और नहीं हो सकता. वह हमेशा अपनी खुशियों को नजरअंदाज करके परिवार की खुशी के बारे में सोचता है. एक पिता ही होता है जो एक बेटे, एक भाई और एक अच्छे जीवनसाथी के रूप में सदा अपने कर्तव्यों का पालन करता है.

    जीवन में पिता का महत्व – मेरे पिताजी दुनिया के सबसे अच्छे पिता है वे एक बहुत मेहनती किसान है. पहले हमारा परिवार बहुत गरीब हुआ करता था लेकिन मेरे पिताजी ने सुबह शाम खूब मेहनत करके परिवार का आर्थिक स्तर बढ़ाया है इसी कारण में आज अच्छे स्कूल में अच्छी शिक्षा प्राप्त कर पा रहा हूं. मेरे पिताजी ने मुझे धन का सही उपयोग करना सिखाया है क्योंकि मैं पहले व्यर्थ में पैसे बर्बाद कर देता था लेकिन पिताजी की समझाने के बाद में हमेशा धन का सदुपयोग करता हूं. मेरे पिताजी बहुत ही कठिन परिश्रम करके परिवार का पालन पोषण करते है लेकिन वह कभी हमें किसी भी वस्तु की कमी नहीं होने देते है.

    मेरे पिताजी परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण ज्यादा पढ़ लिख नहीं पाए लेकिन वह हमेशा चाहते है कि मैं पढ़ लिख कर एक अच्छा व्यक्ति बनू. इसीलिए मैं हर रोज मन लगाकर पढ़ाई करता हूं जिसके कारण मुझे कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ. मैंने सफलता का मंत्र मेरे पिताजी से ही सीखा है उन्होंने मुझे सिखाया है कि हमेशा कार्य करते रहो फल की चिंता मत करो. उन्होंने मुझे हमेशा सत्य बोलना और दूसरों की मदद करना करना सिखाया है. उन्हीं के इन गुणों के कारण मैं हमेशा सत्य बोलता हूं और अपने सहपाठियों की मदद करता हूं.

    वे हमेशा परिवार के साथ खुशियां बांटते है कभी भी अपनी परेशानी हमें नहीं बताते उनके इस त्याग को देख कर मुझे भी आगे बढ़ने का हौसला मिलता है। उन्होंने हमें हमेशा आगे बढ़ना सिखाया है कभी भी मुश्किलों से घबराकर अपने लक्ष्य को छोड़ना नहीं बल्कि उनसे संघर्ष करके सफलता को प्राप्त करना बताए है.

    मेरे पिताजी पारिवारिक कर्तव्यों के साथ साथ सामाजिक कर्तव्यों को भी पूरी कर्तव्यनिष्ठा से निभाते है हमारे पूरे समाज में उन्हें सभी आदर के साथ बुलाते है। वे भी उनको उतना ही आदर सम्मान देते है। वे एक किसान है इसलिए उनसे ज्यादा संघर्ष कोई नहीं कर सकता। जब शाम को खेत से लौटकर घर आते है तो बहुत थक जाते है। मेरे पिताजी अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों को अच्छी तरह से समझते हैं इसीलिए वे आलस्य नहीं करते और हर रोज कार्य करने जाते है। मैं बीमार भी होते हैं तो भी अपने कर्तव्य को कभी नहीं भूलते। मुझे लगता है कि एक पिता जितना त्याग और प्यार कोई अन्य व्यक्ति नहीं कर सकता है। इसलिए मैं उन्हें अपना आदर्श मानता हूं।

    मेरे पिताजी एक अच्छे पिता के साथ साथ एक अच्छे पुत्र भी है वे जितने अच्छे से हमारा ख्याल रखते हैं उतने ही अच्छे से अपने माता पिता का भी ध्यान रखते है. वे सुबह उठते ही अपने माता पिता का आशीर्वाद लेते है और फिर कार्य प्रारंभ करते है. उन्होंने मुझे भी हमेशा दूसरों को सम्मान देना सिखाया है क्योंकि उन्होंने बताया है कि हम जैसा करते है वैसा ही हमारे साथ अन्य लोग करते है इसलिए सदैव दूसरों की सहायता करनी चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए. मुझे पिताजी की यह सभी बातें बहुत अच्छी लगती है इसलिए मैं भी अपने जीवन में इन बातों पर अमल करता हूं जिसके कारण स्कूल के सभी अध्यापक और मेरे साथी गण मुझे बहुत पसंद करते है.

    मेरे पिताजी बहुत ही धैर्यवान है मैं जब भी किसी कार्य को करते हैं तब बहुत ही समझदारी और धैर्य से करते हैं इसीलिए वे हमेशा अच्छी फसल का उत्पादन करते है और अपने कार्य में सफल होते है. उनके प्रतिदिन कार्य करने की क्षमता को देखकर मुझे भी एक अलग सा साहस और हौसला मिलता है.

    मेरे पिताजी एक अच्छे जीवन साथी भी है वह मेरी मां का सभी कार्यों में सहयोग करते है जब कभी मेरी मां की तबीयत खराब होती है तो वे उन्हें आराम करने के लिए कहते है आप खुद घर का कार्य करते है. इसीलिए वे दुनिया के सबसे अच्छे पिता है मैं भी उन्हीं के सिखाएं रास्तों पर चलता हूं इसी कारण मुझे आज तक असफलता का मुंह नहीं देखना पड़ा.

    उपसंहार – माता-पिता एक बूढ़े वट वृक्ष के समान होते है जिन्होंने जीवन की हर खुशी और हर एक गम को देखा है उन्होंने हर एक पल को जिया है उन्हें हर एक अच्छे बुरे व्यक्ति को समझने की काबिलियत है. पिता का हाथ जब तक हमारे मस्तक पर रहता है तब तक हमें किसी भी बात की चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती है. हमेशा दुखों को खुद सहते है और हमें सिर्फ खुशियां देते है इसीलिए हम जीवन में इतनी खुशियां को जी पाते है. हमें हमारे पिता के संघर्षों को कभी भी नहीं भूलना चाहिए. हमें बड़े होने के बाद उनकी सेवा करनी चाहिए और एक अच्छे व्यक्ति के साथ साथ एक अच्छा पुत्र भी बन कर दिखाना चाहिए. हमें अपने मां बाप को कभी नहीं भूलना चाहिए क्योंकि उन्ही के कारण आज हमने जितनी सफलताएं प्राप्त ही है वे सब उनके संघर्ष और विचारों का फल है.

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